ISSN No: 2231-5063
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Article Details ::
Article Name :
''दिनकर और प्रगतिशीलता का मिथक''
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Author Name :
संध्या सिंह
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
GRT-5966
Article URL :
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Abstract :
मैनेजर पाण्डेय के इस कथन से दिनकर की कविता को एक नए आलोक में देखना संभव होगा - 'माक्र्सवाद से दिनकर का संबंध कैसा था? माक्र्सवाद से दिनकर का संबंध राग का भी था और विराग का भी। माक्र्सवाद के जो उद्देश्य हैं उन उद्देश्यो से उनका संबंध राग का था जो उनकी कविता से सिद्ध होता है। लेकिन हिंदी के माक्र्सवादियों के व्यवहार से उनका संबंध विराग का था। दूसरी बात यह है की हिंदी के प्रगतिशील कवियों से उनका संबंध राग का था लेकिन हिंदी के माक्र्सवादी आलोचकों से उनका संबंध विराग का था। अधिकांश माक्र्सवादी आलोचकों ने दिनकर की आलोचना की। इसका कारण यह है की हिंदी के अधिकांश माक्र्सवादी आलोचकों ने सिद्धांत के आधार पर नहीं सुविधा के आधार पर आलोचना लिखी।
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