ISSN No: 2231-5063
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Article Details ::
Article Name :
सुर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ और उनका उगीन परिवेश
Author Name :
पिंकी जोशी, डॉ. आद्या
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
GRT-8283
Article URL :
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Abstract :
श्रेष्ठ साहित्य में युग – चेतना के बाह्य एवं आंतरिक – दोनो पक्ष अभिव्यक्ति पाते है| बाह्य युगीन प्रभाव के परिणामस्वरूप साहित्यकार अपने युग का सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक एवं धार्मिक गतिविधियाँ एवं सुधार आंदोलनो आदि का पूर्ण प्रभाव ग्रहण कर उनकी सशक्त अभिव्यक्ति करने में समर्थ होता है|
Keywords :
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