ISSN No: 2231-5063
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Article Name :
देश विदेश में रामकथा का विकास
Author Name :
कृष्णचन्द रल्हाण
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
GRT-7109
Article URL :
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Abstract :
रामकाव्य परम्परा बहुत प्राचीन है। ‘वाल्मीकि रामायण’ की परवर्ती अनेक कवियों ने भारतीय भाषा में रामकाव्य की रचना की है। ‘रामचरितमानस’ के उद्धरण और विवरण तो प्राय: दिए जाते हैं परन्तु उस रामकाव्य की परम्परा की ओर भी दृष्टिपात करना अब अनिवार्य हो गया है, जिसने भारतीय जीवन के विभिन्न सोपानों पर युगानुकुल उत्तरदायित्वों का वहन किया। यह आकस्मिक नहीं है कि जब भी भाषा, विचार, सम्प्रदाय अथवा संस्कृति में उल्लेखनीय अथवा मौलिक परिवर्तन हुआ है, राम का चरित्र ही भारतीय जन का सहयोगी, संरक्षक और मार्गदर्शक बनकर उपस्थित हुआ है।
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