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| Article Name : | | | आदिवासीयों की भीली का स्वरूप : एक अध्ययन | | Author Name : | | | रजनी प्रकाश सोलंकी | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | GRT-2735 | | Article URL : | |  | Author Profile View PDF In browser | | Abstract : | | | आदिवासीयों की भीली बोलियों का गुजराती से काफी सादृश्य हैं | सच तो यह है कि भीली का विकास राजस्थानी और गुजराती का सहजक्षेत्र है, इसीलिए उसे यह या वह कहने की प्रेरणा होती है | यथार्थ में भीली- बोलियों का क्षेत्र बड़ा व्यापक है, और जिनकी अपनी-अपनी क्षेत्रीय लक्षणीताएँ हैं | भीली तथा खानदेशी दोनों में ही आर्येउतर भाषाओं के चिंह मिलते हैं किंतु यह इतने अल्प है कि इनका निश्चित अभिज्ञान दुष्कर है | इनकी आधार या तो मुण्डा या द्राविड़ी भाषाएँ रही होगी, मुण्डा की संभावना ही अधिक हैं | बाद में ये आर्यभाषा के सांचे में ढली होगी | | | Keywords : | | |
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