जीवन एक सादा सा कैनवास ही तो है , एकदम साफ आसमान की तरह, पर जब शाम के वक्त इस आसमान पर तरह – तरह के रंग उतरते है जैसे सुनहरा, लाल, नीला, सफेद तो अच्छा लगता है | मन करता है उसे बस उसे तकते रहो, निहारते रहों | विदेश में बसी महिला कथाकारों की कहानियाँ भी मुझें एसी ही लगी | संघर्ष और परिवर्तन का इन्सानी दस्तावेज़ है यह कहानियाँ | मन के नन्हें नन्हें दु: ख-सुख, छोटी-छोटी कमजोरियोँ का लेखा-जोखा | यही कथ्य को प्रभावशाली बनता है | धर्म का आतंकवादी रूख, परिवार का विघटन, नारी स्वातन्त्रय की ललक, मन का टुटापन, सभ्य और असभ्य समाज का स्प्ष्ट चेहरा यह सारे के सारे टूटे कॉच के टुकड़े से लगे, जिसे जोड़ने से पुरे समाज, सभ्यता और इन्सान का रूप सामने आ जाता है | |