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Article Name : | | हिन्दी कथा साहित्य मे नारी की बदलती भूमिका | (प्रेमचन्द के संदर्भ मे ) | Author Name : | | निधि सैनी | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | GRT-3075 | Article URL : | | | Author Profile View PDF In browser | Abstract : | | “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता :” से लेकर ” नारी तुम केवल श्रध्दा हो तक जो भव है उससे नारी के पावन रूप की प्रतिष्ठा का बोध होता है | नारी का इतिहास अनेक उत्थान – पतानो का इतिहास है | समय - समय पर नारी विषयक मानदण्डो मे परिवर्तन होता रहा है | नारी का स्थान समाज मे अत्यंत महात्वपूर्ण है | नारी पुरे परिवार ही धुरी होती है शरीर का संचालन करने मे जैसे रीढ़ की हड्डी का महत्त्व है | वैसे ही परिवार का सुचारू रूप से संचालन नारी द्वारा किया जाता है | | Keywords : | | |
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