भैरव राग को भारतीय शास्त्रीय संगीत सबसे प्राचीन तथा प्रसिद्ध रागों में से एक माना जाता हैं | प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक युग के लगभग सभी ग्रंथों में इनकी गणना प्रमुख रागों में की गयी हैं | प्रथम भैरव शब्द का प्रयोग चौथी शताब्दी में मंतगमुनी द्वारा रचित ग्रन्थ ब्रुहददेशी मिलता हैं जिस मे इसे माध्यम ग्राम की तान के लिए प्रयुक्त किया जिसका वर्णन इस प्रकार किया गया हैं | |