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| Article Name : | | | जैनेन्द्र के उपन्यास : स्त्री अंन्तर्द्वंद्व | | Author Name : | | | राखी उपाध्याय , कुसुम | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | GRT-3538 | | Article URL : | |  | Author Profile View PDF In browser | | Abstract : | | | अंन्तर्द्वंद्व एक हला सा एहसास है । जो शनै : शनी : व्यक्ती को मारता राहता रहता है । जैनेन्द्र कि हर एक नायिका इसी अंन्तर्द्वंद्व के घेरे में दृष्टकुट हैं । जिसमें से अधिकतर नायिकाये उपन्यास के अंत में बेजार सी दृष्टिगोचर होती है । एक स्त्री के जीवन में दो पुरुषो (पती और प्रेमी) कि मौजूदगी इस अंन्तर्द्वंद्व का कारण हैं । | | Keywords : | | - Financial System etc,Bedar community,
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