हिंदी का भारतीय (देशी) परीपेक्ष्यीय सफर -१८५७ से संविधान तक जिस तरह से बच्चो के मानसिक विकास के लिये मां का दुध जरुरी है , उसी तरह देश के विकास के लिये हिंदी भाषा रुपी दुध आवश्यक है । - म. गांधी आज महात्मा गांधी कि यह बात उतनी हि सही है जितनी उस समय थी । आज हिंदी हमारे लिये उतनी हि जरुरी है जितना मां के लिये अपना बच्चा । |