उस्ताद मोदू खाँ ( अनुमान से जन्म सन 1800 ई. के बाद ) तबले के विकास में दिल्ली के उस्ताद सिध्दार खाँ ढाढ़ी मील के एक पत्थर के समान है| विभिन्न पुस्तकों में इनके तीन पुत्र होने का प्रमाण मिलता है| उनमें से घसीट खाँ और बुगरा खाँ के अतिरिक्त तीसरे का नाम तक इतिहास की गर्त में खो गया है ,फिर भी वे अपने तीन यशस्वी पुत्रों – मक्कु खाँ, मोंदू खाँ और बख्शु खाँ के कारण महत्वपूर्ण है| वे तीन अपना वतन छोडकर लखनऊ में बस गये |यहाँ रहकर उन बन्धुओं ने तबले की परम्परा को उत्तर में फैलाया “ लखनऊ घराना” की स्थापना की | |