पश्चिमी देशों में उपन्यास की यथार्थवादी संरचना इस मान्यता पर आधारित है कि व्यक्ती सत्य की अभिव्यक्ति अपनी अनुभूतियों के आधार पर करता है| इस परिप्रेक्ष्य में दर्कात,लॉक ,टॉमस रीड आदि ऐसे विचारक है जिनिके अनुसार बाह्य संसार,जिसका अनुभव हम अपनी बोधेन्द्रियों द्वारा करते है,यथार्थ है | व्यक्ती और उसके चारो और फैला संसार ही यथार्थ को मापने का सबसे बेहतर और विश्वसनीय पैमाना है | |