आख़िर क्या है यह काला धन, इसका इतिहास और कैसे वापस आ सकता है यह काला धन? भारत को इस संदर्भ में बहुत सजग होकर काम करना होगा। सवाल यही है कि क्या वह इस दिशा में एक ऐसे वैश्विक गठबंधन का हिस्सा बनना चाहता है, जिसके तहत सहज रूप से ऐसी सूचनाओं को साझा किया जाना है अथवा नहीं। क्या यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सूचनाओं के पक्ष में पर्याप्त साक्ष्य और प्रमाण हों अथवा हम केवल नारेबाजी तक सीमित रहना चाहते हैं? बर्लिन में तकरीबन 50 देशों के साथ एक हालिया बैठक में भारत भाग नहीं ले सका, क्योंकि भारत में यह प्रचलित धारण है कि गोपनीयता के प्रावधान भारतीय कानून के में असंवैधानिक हैं। इस दृष्टिकोण पर नए सिरे से विचार किए जाने की आवश्यकता है। विदेशों में जमा धन के बारे में सूचनाओं का सहज आदान-प्रदान धन के अधिकृत और अनधिकृत दोनों ही तरह के लेन-देन से जुड़ा हुआ है। |