ISSN No: 2231-5063
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Article Name :
संत मलूकदास के काव्य में दार्शनिक चिंतन
Author Name :
राजविन्द्र
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
GRT-5259
Article URL :
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Abstract :
संत मलूकदास अपने काव्य में ब्रम्ह को अतुलनीय और सर्वशक्तिमान मानते है | ब्रह्म ही परम सत्य है | वह सर्वव्यापक एवं सृष्टि रचयिता है | प्रस्तुत अध्याय में सर्वप्रथम ब्रह्म और माया के स्वरूप को स्पष्ट जाएगा | तदोपरान्त ब्रह्म की सर्वव्यापकता तथा जीव और ब्रह्म में भेद को विवेचता करने का प्रयास किया जाएगा |
Keywords :
  • Entrepreneurship programme,
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