| Article Name : | |
| संत मलूकदास के काव्य में दार्शनिक चिंतन |
| Author Name : | |
| राजविन्द्र |
| Publisher : | |
| Ashok Yakkaldevi |
| Article Series No. : | |
| GRT-5259 |
| Article URL : | |
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| Abstract : | |
| संत मलूकदास अपने काव्य में ब्रम्ह को अतुलनीय और सर्वशक्तिमान मानते है | ब्रह्म ही परम सत्य है | वह सर्वव्यापक एवं सृष्टि रचयिता है | प्रस्तुत अध्याय में सर्वप्रथम ब्रह्म और माया के स्वरूप को स्पष्ट जाएगा | तदोपरान्त ब्रह्म की सर्वव्यापकता तथा जीव और ब्रह्म में भेद को विवेचता करने का प्रयास किया जाएगा | |
| Keywords : | |
- Entrepreneurship programme,
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