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Article Name : | | आचार्य कवि देव का ॠतू-वर्णन | Author Name : | | मीनू रानी W/O श्री रणवीर सिंह मूण्ड | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | GRT-5584 | Article URL : | | | Author Profile View PDF In browser | Abstract : | | सृष्टि के प्रारम्भ में जब मानव की आँख खुली तो उसने स्वयं को प्रकृति की गोद में पाया। इस गोद में पलते हुए मानव ने प्रकृति को अपनी सकल इच्छाओं की पूर्ति करने वाली अकारण अपार दयामयी मा¡ के रूप में देखा। दिनभर इधर-उधर भटकते समय यही उसे भोजन के लिए पफल-पूफल, कन्द-मूल प्रदान करती और यही उसको मधुर शीतल जल से तृप्त करने के उपरान्त अपनी क्रोड़ में समीरण की थपकियों से मधुर निद्रा का सुख प्रदान करती थी। सूर्य की प्रखर किरणों, उष्ण पवन, भयंकर जल एवं उपल वृष्टि, शीतल पवन एवं शरीर को जमा देने वाली हिम राशि से भी पीडि़त होकर मानव ने इसी प्रगति की शरण ली होगी। अत: नानाविध जीवन की दुर्गम आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली इस प्रकृति के प्रति मानव की सहानुभूति पूर्ण निकटता होना स्वाभाविक था। | Keywords : | | |
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