ISSN No: 2231-5063
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Article Name :
संत मलूकदास के काव्य में दार्शनिक चिंतन
Author Name :
राजविन्द्र W/O श्री रणजीत सिंह
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
GRT-5586
Article URL :
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Abstract :
संत मलूकदास अपने काव्य में बब्रह्म को अतुलनीय और सर्वशक्तिमान मानते हैं। ब्रह्म ही परम सत्य है। वह सर्वव्यापक एवं सृष्टि रचयिता है। प्रस्तुत अध्याय में सर्वप्रथम ब्रह्म और माया के स्वरूप को स्पष्ट किया जाएगा। तदोपरान्त ब्रह्म की सर्वव्यापकता तथा जीव और ब्रह्म में भेद को विवेचित करने का प्रयास किया जाएगा। अन्त मंज सामाजिक तथा सांस्कृतिक प्रासंगिकता की दृष्टि से इस बात पर विचार किया जाएगा कि मलूकदास के काव्य में जीव और ब्रह्म संबंध की क्या प्रासंगिकता है।
Keywords :
  • विश्लेषण,
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