ISSN No: 2231-5063
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Article Name :
औपन्यासिक परिदृश्य में निहित राजनीति का वर्तमान, अतीत और भविष्य
Author Name :
किरण ग्राेवर
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
GRT-5754
Article URL :
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Abstract :
पौराणिक साहित्य में राजनीति के चार उपाय निर्दिष्ट किये गये हैं जिनमें साम, दाम, दण्ड और भेद नीति आदि मुख्य हैं। राजनीति में स्वार्थ और सत्ता हथियाने की ललक ने अनेक राजनैतिक विसंगतियों को जन्म दिया। पहले की राजनीति और आज की राजनीति में काफी बदलाव आया है। राजनीति में सिद्धान्त, आदर्श, नैतिकता, मार्ग दर्शन, स्वस्थ विचार आदि के लिए कोई स्थान नहीं है। परिणामत: राजनीति साम्प्रदायिकता,जातिवाद, भ्रष्टाचार, शोषण तथा दलीय प्रतिबद्धता आदि के रूप मेप्रस्फुटित हुई। उपन्यास जीवन का वैज्ञानिक व दार्शनिक अध्ययन है। राजनीति, साहित्य व समाज एक दूसरे के पेरक व पूरक हैं। साहित्यकारों यथा हजारी प्रसाद द्विवेदी, कमलेश्वर, अलका सरावगी, अमृतलाल नागर, काशी नाथ सिंह, श्रीलाल शुक्ल, रवीन्द्र वर्मा, दूधनाथ सिंह ने उपन्यासों के माध्यम से राजनीति के प्रति चेतना जागृत करके, राजनीति के अतीत, वर्तमान व भवि’य को पाठकों के समक्ष रखा है। कालजयी रचनाओं में निहित राजनीतिक चेतना अतीत, वर्तमान व भवि’य के नये मार्ग खोलती है क्योंकि ऐसी कालजयी रचनाएं ही राजनीतिक बोध की पहचान का आधार होती हैं।
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