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            | Article Name :  |  |  | 'बूँद और समुद्र' मेंद्वन्द्वकी – स्थिति |  | Author Name :  |  |  | शकुन्तला देवी धर्मपत्नी श्री सुरेन्द्र कुमार |  | Publisher :  |  |  | Ashok Yakkaldevi |  | Article Series No. :  |  |  | GRT-5771 |  | Article URL :  |  |    | Author Profile    View PDF In browser |  | Abstract :  |  |  | अमृतलाल नागर कृत बूँद  और समुद्र (1958) व्यक्ति और समाज काद्वन्द्वात्मक स्वरूप को स्पष्ट करने वाला महत्त्वपूर्ण उपन्यास हैं। समाज और व्यक्ति का अटूट सम्बन्ध है। व्यक्ति का अस्तित्व समाज में निहित हैं और समाज व्यक्तियों की पूरक व विशिष्ट संस्था है। समाज में रहते हुए मनुष्य का संघर्षद्वन्द्व, प्रतिकूल - स्थितियों में मानसिक तनाव, युगों से संचित रूढि़यों का विद्रोह और विद्रोह के अस्वीकार में प्रतिक्रिया-स्वरूप समाज का तीखा आक्रोश, एक और रूढ़ परम्पराओं की लोक, तो दूसरी और परम्पराओं की लोक का विरोध तथा नवीन आस्थाओं, चिन्तन, मान्यताओं का प्रतिस्थापन-समाज की गतिशीलता का द्योतक है। स्वातत्र्योरा  - स्थिति में सामाजिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन लक्षित हुआ।  |  | Keywords :  |  |  - linguistics,Human Resource,
 
            
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