प्रत्येक न्यायिक जांच का आ’या न्यायाधीशे को किसी तथ्य और विधि के अस्तित्व के बारे में वि’वास जागृति करना है, जिसे किसी ठोस सबूतो के आधार पर ही उत्पन्न किया जा सकता है। न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों को भी साक्ष्य विधि के निर्दिष्ट नियमों के अनुसार ही प्रमाणित किया जाता है। प्रत्येक पत्र, प्रपत्र अथवा सामग्री को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का फैसला साक्ष्य विधि के अनुसार किया जाना है। जब किसी न्यायाधीश को किन्ही तथ्यों से संंबंधित अधिकार एवं दायित्व के बारे में निर्णय लेना होता है तो वास्तविक तथ्यों के बारे में निर्णय लेना होता है तो वास्तविक तथ्यों के विषय में किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए यह आवश्यक होता है कि तथ्यों के बारे में जानकारी उसके समक्ष प्रस्तुत की जाए। साक्ष्य विधि का कार्य उन नियमों का प्रतिपादन करना ह जिनके द्वारा न्यायालय के समक्ष तथ्य साबित या नासाबित किये जाते है। किसी तथ्य को साबित करने के लिए जो प्रकिया अपनाई जाती है उसके नियम एवं सिद्धान्त साक्ष्य विधि द्वारा निर्धारित एवं सिद्वान्त साक्ष्य विधि द्वारा निर्धाथ्रत किये जाते है। प्रस्तुत आलेख में साक्षीयों के परीक्षण के संबंध में प्रमुख उपबन्धों का विश्लेषण किया गया है। |