भारत आज विश्व की प्रमुख आर्थिक महाशक्ति है। चीन के बाद हमारे यहां सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला मजबूत उपभोक्ता बाजार है। इन सबके होने के बावजूद भारत में 38 करोड़ लोग ऐसे है जो अशिक्षीत है, लिख-पढ़ नही पाते। अशिक्षा हमारी एक बड़ी भयावह सच्चाई है। हमने अपने स्कूल जीवन में किताबों के माध्यम से सात मूल अधिकारों को पढ़ा है। इन मूल अधिकारों के क्रम में शिक्षा का अधिकार भी शामिल हो गया है। शिक्षा को 6 से 14 वर्ष के बच्चों का मौलिक अधिकार बनाने वाला यह ऐतिहासिक कानून के बनने पर ऐसे बच्चों को लाभ होगा जो स्कूल नहीं जा पाते है या स्कूल जाना संभव नहीं है। वर्तमान समय में निजी (Private) स्कूलों की बाढ़ सी आ गई है, जिससे इन निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस बढाने के खिलाफ आदि खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रही है। |