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Article Name : | | सुशम बेदी का ‘हवन’ : प्रवासी समाज के संघर्श का संपुटन | Author Name : | | किरण ग्रोवर | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | GRT-6436 | Article URL : | | | Author Profile View PDF In browser | Abstract : | | आज साहित्य सृजन प्रवासियों के जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। प्रवासी हिन्दी साहित्य एक चेतना है, मनोविज्ञान है, अन्र्तदृष्टि है। प्रवासी लेखक का संवेदन संस्कार के रूप में परिवेश को ग्रहण करता है। परिवेश बदल जाने से प्रवासी के जीवन में विषमताएं आती हैं जिसके कारण नवीन संस्कार, नूतन दृष्टिकोण, नए विचार, नई सोच बनने लगती हैं। भारतीय प्रवासी लेखक के सामने रंगभेद की समस्या, अतीत के प्रति मोह, सांस्कृतिक संकट, पीढ़ीगत अंतर, बेगानापन, नारी की दशा आदि के अलावा अनेक और समस्याएं भी सामने आ रही हैं। सुषम बेदी हिन्दी साहित्य लेखन में एक जानी पहचानी लेखिका है। उनका साहित्य पश्चिमी जगत के प्रवासी भारतीयों के अनुभव, परिस्थितियों, अन्तद्र्वन्द्वों को अभिव्यक्त करता है। सुषम बेदी का ’हवन’ उपन्यास अमेरिका में प्रवासियों की जिन्दगी का यथार्थ चित्रण करने वाला उपन्यास हैजिसमें दर्शाया गया है कि प्रवासी विदेशी सभ्यता की भौतिक चमक-दमक से अपने जीवन को कैसे होम कर रहे हैं। इस उपन्यास की नायिका गुड्डो के जीवन में संघर्ष, असुरक्षा का भय,अतीत के प्रति मोह,अक्खरता अंग्रेजी का हिन्दुस्तानीपन,अलगाव, सफेद खून,अकेलापन, बेगानगी आदिभटकन, निराशा, उदासी व तनाव को उत्पन्न करते हैं। | Keywords : | | - नस्लवाद,घुटन,प्रवासी संवेदन,अलगाव,बेगानगी,सुषम बेदी,
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