ज्योतिबा फुले के समय स्त्रियो के पास अधिकार नहीं थे| शक्ति का आधार उस समय पुरुष ही था| परिवार में महत्वपूर्ण फैसले पुरुषही लेता था| स्त्री की अपनी कोई पहचान नहीं थी| बच्चो को जन्म देने से लेकर उनकी देखभाल करना, खाना पकाना तथा अन्य घरेलू गतिविधियो ने ही स्त्री के कार्याक्षमता को सीमित समझा जाता था| |