Useful Links |
|
Article Details :: |
|
Article Name : | | वैश्विक स्तर पर हिन्दी का योगदान | Author Name : | | हरिणी रानी आगर, कल्पना अभिशेक पाठक | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | GRT-6795 | Article URL : | | | Author Profile View PDF In browser | Abstract : | | हिन्दी भाषा का योगदान भारतीय समाज के लिए सर्वोपरि है। हिन्दी शब्द अपने देश- भारत की ऐतिहासिक पहचान का द्योतक है और हिन्दी शब्द भारतवासियों की वाणी का द्योतक है। अतः स्वाधीनता के उपरांत भारत एक राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ और राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का चयन किया गया। आधुनिक युग में वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति का निर्वहन भाषा के रूप में हिन्दी ने ही किया। व्यापार, दूतावासों सांस्कृतिक गतिविधियों का आदान-प्रदान, फिल्म उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी में निष्णात प्रवासी भारतीयों, श्रमजीवी प्रवासी भारतीयों तथा ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में दो भिन्न संस्कृतियाँ जब एक-दूसरे के समीप आती है तब उनमें भाषाई आदान-प्रदान होता है। यही भाषाई आदान-प्रदान आगे चलकर वैश्विक रूप धारण करके किसी देश की राष्ट्र भाषा को विश्व भाषा के रूप में स्थापित भी करता है। हिन्दी भी आज विश्व भाषा के रूप में अनौपचारिक मान्यता पा चुकी है। हिन्दी भाषा में सर्व समावेशी प्रवृत्ति होने के कारण यह विश्व भाषा के पद को पाने की क्षमता रखती है। | Keywords : | | |
|
|