आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक काल को ’गद्यकाल’ के नाम से अभिहित किया है। सामान्यतः आत्मकथा विधा अन्य गद्य - विधाओं की तरह हिंदी साहित्य के लिए आधुनिक काल की उपज है। हिंदी में ’आत्मकथा’ विधा का उदय पाश्चात्य साहित्य के प्रत्यक्ष या परोक्ष भाव का ही परिणाम माना जाता है। ’आत्मकथा’ मूलतः अंग्रेजी शब्द ऑटोबायोग्रैफी’ । (Autobiography) से बना हुआ है। संस्कृत में ’आत्मवृत्तकथनम’ और ’आत्मकचरितम’ शब्द अवष्य मिलते है जो आत्मकथा के अर्थ में स्वीकृत शब्द है। |