गांव भारतीय सामाजिक व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग है। गाँवों की सुख-समृद्धि पर ही सम्पूर्ण देश की प्रगति
निर्भर करती है। आज भी देश की तीन चैथाई जनसंख्या मुख्य रूप से कृषि व पशुपालन द्वारा जीवन यापन करती है।
बडी संख्या में ग्रामीण भूमिहीनों के कारण गांवों में अत्यधिक निर्धनता है। गांवों में सुविधाओं व साधनों की कमी के
कारण शिक्षित ग्रामीण शहरों की ओर पलायन कर जाते है। रोजगार की तलाश में भूमिहीन कृषि श्रमिक भी गांव
छोड़कर शहर में आ बसते है। इन परिस्थितियों को देखते हुए गांवों में ही रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की
आवश्यकता है। इसमें ग्रामीण औद्योगीकरण अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकता है। वास्तव में कृषि उद्योग गांवों की
जरूरत है।
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