दलित साहित्य स्त्रोत से पृथक तथा मौलिक है क्योंकी,आंबेडकर चेतना ही दलित साहित्य की चेतना है | अर्थात दलित साहित्य का प्रेरणा स्त्रोत डॉ.बी.आर.आंबेडकर जी के ही विचार है| अत: वह एक ऐसा प्रकाश पुंज है जो अंधेरे में उतरा है | यह विलास तथा मनोरंजन का साहित्य नही है |
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