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| Article Name : | | | वीर रस के कवि भूषण | | Author Name : | | | सुब्राव नामदेव जाधव | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | GRT-7164 | | Article URL : | |  | Author Profile View PDF In browser | | Abstract : | | | रस की दृष्टि से रीति या शृंगार काल में शृंगार के बाद वीर-रस का स्थान है| आचार्य शुक्ल भी स्वीकार कर चुके हैं कि- “वास्तव में शृंगार और वीर इन्हीं दो रसों की कविता इस काल में हुई है|” | | Keywords : | | |
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