कला का अपना विशिष्ट महत्त्व होता है। प्रत्येक काल में कला का अपना वर्चस्व रहा है। चाहे वह हड़प्पा कालीन कला हो या मौर्य कालीन या कुषाण कालीन या अन्य कला। कुषाण शासकों का काल भारतीय मूर्तिकला की क्रियाशीलता का काल था। कुषाण शासकों के काल में ही मथुरा कला का अभ्युदय विशुद्ध भारतीय कला के रूप में हुआ है। |