भारत एक पितृसत्तात्मक समाज रहा है एवं है, जहाँ महिलाओं को सदैव ही विकास क्रम में पीछे रखा गया है। बहुत सूक्ष्म एवं वृहत्तम् रूप से यह स्पष्ट देखा जा सकता है, परिवार जो सबसे बड़ी सामाजिक संस्था के रूप में भारतीय समाज की विशेषता है, पारिवारिक संस्था के मूल्यों ने परिवार के लिए उत्तराधिकारी की इच्छा व आवश्यकता सदैव की है, वह उत्तराधिकारी है पुत्र। |