प्रेमचंद ने ‘गोदान’ में तत्कालीन राजनीतिक स्थिति को भी स्पश्ट रूप से उभारा है। राजनीतिक अनुभव पैसे के बल पर खरीद लिया जाता है। श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ वही माना जाता है, जिसके पास पर्याप्त पैसा है। इलैक्शन की हार-जीत के बल पर होती है, जो जितना अधिक पैसा खर्च कर देता है, उसे उतने ही अधिक वोट मिल जाते है। |