‘आलोचना‘ आधुनिक युग की साहित्य क्षेत्र को मिली सर्वक्षेष्ठ देन है। ‘आलोचना‘ कला और साहित्य के क्षेत्र में ही बल्कि विविध क्षेत्रों में वर्णन की क्षमता रखती है। ‘‘किसी वस्तु या पदार्थ के संदर्भ में अपना मत प्रदर्शित करते हुए उसके गुण दोषों की चर्चा करना आलोचना कहलाती है।‘‘ परंतु साहित्य के क्षेत्र में आलोचना का अनन्य साधारण महत्व है। |