Article Name : | |
कर्तव्य बोध-दृष्टि एवं चेतना (नरेश मेहता के खण्ड-काव्यों के सन्दर्भ में) |
Author Name : | |
प्रा.डॉ. मिरगणे अनुराधा जनार्धन |
Publisher : | |
Ashok Yakkaldevi |
Article Series No. : | |
GRT-8868 |
Article URL : | |
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Abstract : | |
मानव जीवन की सम्पूर्ण यात्रा का प्रधान अर्थ कर्म ही है। स्वार्थ-बुद्धि से किया गया कर्म मानव को बन्धन में डालता है तथा निस्वार्थ-बुद्धि से किया गया कर्म मानव को बन्धन-मुक्त करता है तथा परम-सुख का कारण बनता है। |
Keywords : | |
- कर्तव्य बोध,नरेश मेहता के खण्ड-काव्य,
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