लगभग प्रतिदिन होने वाले स्त्रियों के प्रति अमानवीय एवं पशु सरीखे व्यवहार ने देश की आत्मा को हिलाकर रख दिया है। जहॉ देश विकास की दौड में आगे निकलने को अग्रसर है, वहीं आधी आबादी की चींख इस विकास की प्रतिमा में काला धब्बा लगाती है। जैसाकि महात्मा गॉधी ने भी कहा है-जब तक आधी जनसंख्या की आँखों में आंसू है तब तक मानवता सुखी नही हो सकती, लेकिन देखिये यह हमारी दुर्बलता है कि हमने अपनी आधी यानि महिलाओं की आँखें पोंछने के लिये सहयोग का रूमाल नही बल्कि गुलामी की जंजीरें उपलब्ध करवा दी। |